Credit :- freepick
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टीनएजर बच्चे अपनी लाइफ खुलकर जीना चाहते है वो नहीं चाहते कोई उनको रोके - तोके वो सिर्फ अपने मर्ज़ी के मालिक हो।बहुत - से पेरेंट्स बच्चों पर काम का प्रेसर बनाते है जो बहुत गलत है। जैसे बच्चे अपने पेरेंट्स से दूर होने लगते है।इसमें आपको अपने बच्चे कि बात सुनी चाहिए और उन्हें सपोर्ट करना चाहिए।
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इस टाइम पर बच्चे अपने - आपको बड़े समझने लगते है वो सोचते है वो अपने डिसिशन ले सकते है। ये बात पेरेंट्स को समझ कर बच्चों का सपोर्ट करना चाहिए।
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टीनएजर को ज्यादा टोकना नहीं चाहिए जिससे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते है। और साथ में पेरेंट्स को अपने बच्चे किसी और बच्चों से कम्पेयर नहीं करना चाहिए। इससे बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसकी जगह पेरेंट्स को उनकी गलती बताने की जगह उनकी अच्छाई बतानी चाहिए।
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कोई ऐसी बात होती है जो पेरेंट्स से शेयर नहीं करते है बच्चे , वो डरते है पेरेंट्स क्या बोलेंगे। इसी कारण से बच्चे अंदर - ही - अंदर घुटे रहते है।
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अगर उनसे से कोई कुछ बोल दे तो वो चिड़ जाते है। जिससे वो आगे डिप्रेस्ड हो जाते है।
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