डॉ. मनमोहन सिंह भारत के उन महान नेताओं और विद्वानों में से एक हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से देश को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। वे न केवल भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं, बल्कि एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व मंच पर एक नई पहचान दी। उनकी सादगी, विद्वत्ता और व्यावसायिक दृष्टिकोण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान दिया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब के गाह (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ। उनका परिवार एक साधारण पंजाबी सिख परिवार था। विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया।
उनकी शिक्षा का सफर शानदार रहा। प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से हुई, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए, जहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से डिग्री हासिल की।
1957 में, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस “India’s Export Performance, 1951-1960, Export Prospects and Policy Implications” ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और सुधार पर एक गहरा अध्ययन प्रस्तुत किया।
एक अर्थशास्त्री के रूप में करियर
डॉ. मनमोहन सिंह का करियर एक अर्थशास्त्री के रूप में शुरू हुआ। 1971 में वे भारत के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, जैसे:
- भारत के वित्त सचिव
- भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर (1982-1985)
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष
- विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में महत्वपूर्ण योगदान
1980 के दशक के अंत तक, उनकी पहचान एक सक्षम और अनुभवी अर्थशास्त्री के रूप में हो चुकी थी।
1991 का आर्थिक सुधार
भारत के इतिहास में 1991 का समय आर्थिक संकट के लिए जाना जाता है। देश विदेशी मुद्रा संकट और बढ़ती बेरोजगारी से जूझ रहा था। इस कठिन समय में, डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया।
डॉ. सिंह ने अपनी नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था का कायापलट कर दिया। उन्होंने:
- लिबरलाइजेशन (उदारीकरण): व्यापार और उद्योग के लिए लाइसेंस प्रणाली को समाप्त किया।
- ग्लोबलाइजेशन (वैश्वीकरण): विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया।
- प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण): सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अधिक स्वायत्तता दी।
इन सुधारों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हुई। यह उनकी सूझबूझ और साहसिक कदमों का परिणाम था कि भारत एक स्थिर और मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस) सरकार का प्रमुख चेहरा थे। उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल कई ऐतिहासिक निर्णयों और उपलब्धियों के लिए जाना जाता है:
- आर्थिक विकास:
उनके कार्यकाल के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था ने वार्षिक 8% से अधिक की विकास दर दर्ज की। - मनोहरम परमाणु समझौता (2008):
डॉ. सिंह ने अमेरिका के साथ नागरिक परमाणु समझौता किया, जो भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ। - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA):
यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए एक बड़ा कदम था। - खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013):
गरीब परिवारों को सब्सिडी पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए यह योजना लागू की गई। - कृषि और ग्रामीण विकास पर ध्यान:
उन्होंने कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया और किसानों की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
हालांकि डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा हुआ था, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा।
- भ्रष्टाचार के आरोप:
2जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला जैसे मुद्दों ने उनकी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया। - नेतृत्व पर सवाल:
उनकी चुप्पी और पार्टी नेतृत्व पर निर्भरता को लेकर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा।
डॉ. मनमोहन सिंह की सादगी
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए जाना जाता है। वे एक विद्वान राजनीतिज्ञ थे, जिनका ध्यान हमेशा नीतियों और योजनाओं पर केंद्रित रहता था। व्यक्तिगत जीवन में वे मीडिया से दूर रहते थे और प्रचार से बचते थे।
उनकी विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अतुलनीय है। उन्होंने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, बल्कि अपनी नीतियों से करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाया।
आज भी वे भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनके कार्य और विचार हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक नेता बल्कि एक विचारक और मार्गदर्शक हैं। उनकी सादगी, विद्वत्ता और देश के प्रति समर्पण उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान देता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि निष्ठा और ज्ञान के बल पर बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
यह लेख डॉ. मनमोहन सिंह की जीवनी, उनके कार्य, और उनके योगदानों पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। क्या आपको इसमें कोई अतिरिक्त जानकारी चाहिए?