जो रोज नहीं नहाते उनके लिए प्रेमानंद महाराज जी ने  जो बोला ...

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वृंदावन के जाने माने प्रेमानंद महाराज से किसी ने सवाल पूछा की शुद्धि  के व्यकित को क्या करना चाहिए चलिए जानते है महाराज जी ने क्या बोला ...

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प्रेमानंद महाराज ने बोला कि हमरा मन शुद्ध होना चाहिए , तन तो कभी भी शुद्ध नहीं हो सकता।  

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प्रेमानंद महाराज ने उदाहरण देते हुए बोला कि एक  थैली लाएं और उसमें शौच भरकर पैक कर दें।  और किसी शुद्ध जल से धो दें क्या वो शुद्ध हो जाएगा। 

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आप उसको छूना पसंद करेंगे ? नहीं न उससे कितना भी शुद्ध पानी से धो लें पर लेकिन वो अपवित्र है।  आप उस  के लिए राजी नहीं होंगे अगर आपने उससे गलती से हाथ भी लगा भी दिया तो आप नहाएंगे।  

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ये ही चीज़ हमारे शरीर का भी है हमारे शरीर में भी मल - मूत्र कि थैलियां  है आप ऊपर से कितना भी नहा लें।

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पर लेकिन हमारा शरीर कभी - भी शुद्ध नहीं हो सकता है।  ये हमारी सोच है अगर हम नहा लिए तो हम पवित्र हो गए है।

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अगर आप अपना मन पवित्र रखते है जब आप पवित्र है इसलिए व्यकित का मन पवित्र है तो उससे गंगा स्नान कि जरूत नहीं होगी।  अगर मन अपवित्र है तो व्यकित गंगा में स्नान करेगा तो उससे गंगा भी अपवित्र हो जाएगी। 

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प्रेमानंद महाराज के अनुसार शरीर कभी पवित्र नहीं बस हमारा मन पवित्र होता है।  

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अगर वो  भगवान का नाम जपता है वो अपने शरीर और मन से पवित्र हो जाता है।  

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